Re: Jokes in Haryanavi
"इसी बात के घरां बतावण की होया करैं?"
एक बै एक ताऊ नै घेर में नळका (हैंड-पम्प) लगा राख्या था, अर एक पिलूरा पाळ राख्या था । उड़ै बहू/ छोरी पाणी भरण आया करती ।
एक बहू नई-नई आई थी - अर नई बहुवां नै गेड़े गैल नए सूट बदलण का शौक होवै ए सै ! ताऊ था असली नकल ठोकण आळा । जब भी वा बहू पाणी लेण आती, ताऊ पिलूरे कै ओड्डै (बहाने) बहू पै नकल मारता - "रै पिलूरे, आज तै जमा लाल (सूट) गाड रहया सै ... रै पिलूरे, आज तै सारा ए लीला हो रहया सै ... रै पिलूरे, आज तै तू काळा (सूट) पहर रहया सै ..."
कई दिनां में बहू की समझ में आया अक यो बूढ़ा तै तन्नैं कहै सै - अर उसनै आपणे खसम तैं कह दई एक वो बूढा तै न्यूं-न्यूं नकल मारै सै । वो छोरा सुण-कै बूढ़े धोरै आया, बोल्या - "ताऊ, तन्नैं बहूआं कानीं बात मारतीं हाण सरम ना आंदी ? तेरी उमर रह रही सै इन बातां की ?"
बूढ़ा बोल्या - "भाई, मैं तै इस पिलूरे नै कहया करता, अर जै बहू फरक मान-गी हो, तै टाळ कर दांगे ।"
आगलै दिन वा बहू फेर पाणी लेण आई, बूढ़ा बोल्या - रै पिलूरे, इसी-इसी बात के घरां बतावण की होया करैं ?"
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