18-03-2012, 10:01 AM
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Re: क्या एकता के लिए एक जैसा होना जरुरी है?
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Originally Posted by balamrasia
१५ अगस्त १९४७ के दिन अस्तित्व में आया देश , इसको हम भारत या इंडिया कहते हैं . ये दुनिया का एकमात्र देश है जो अधिकारिक तौर पर अंग्रेजी में काम करता है जो की इसकी भाषा है ही नहीं -जिसे ढंग से मुश्किल से ५ प्रतिशत लोग जानते हैं .एक ही नस्ल होने के बावजूद अनगिनत जातियों में बंटा ये देश अभी भी कबीलाई मानसिकता में जीता है . कुछ पाने के लिए कुछ खोना होता है. "भारत" को पाने के लिए भिन्न भिन्न भाषाएँ -बोलियाँ ,स्थानीय रिवाजों से ऊपर उठाना था पर हम डीठ की तरह अपनी डफली पर अपना राग गाते रहे . नतीजा यह की भारत महज़ संविधान से बंधा एक कृत्रिम देश है. और हम इसमें गर्वान्वित हो रहे हैं .
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भारत में अधिकारिक तौर पर अंग्रेजी और हिंदी दोनों में काम होता है. केवल अंग्रेजी में ही काम होता है यह कहना पूर्ण रूप से सही नहीं है.
तो आप यह कहना चाहते है सब लोगो को जबरदस्ती एक जैसा बना देते. भिन्न भिन्न भाषाएँ -बोलियाँ और स्थानीय रिवाजों को सरकार खत्म करवा देती. याद रखिये पाँचों उंगलियाँ एक जैसी नहीं होती. विश्व के कई देश जैसे अमेरिका, ब्राज़ील, रूस में काफी मिश्रित संस्कृति है.
भारत केवल संविधान में ही केवल नहीं बंधा हुआ है. एक असाधारण शक्ति है जो भारत को कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और गुजरात से लेकर सिक्किम तक जोड़े हुई है.
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