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Originally Posted by balamrasia
आधुनिक भारत संघ राष्ट्र के सामने दो विकल्प थे या यूँ कहें हैं . पहला, एक मजबूत केंद्र -जिसमे हिंदी राष्ट्रीय भाषा होती और राज्य प्रशासनिक सुविधा के आधार पर होते न की भाषाई आधार पर .
दूसरा विकल्प -मजबूत राज्य ,और राज्यों का एक संघ जिसके पास सिर्फ चुनिंदे अधिकार हों . सच तो ये है की अगर हमने दूसरा विकल्प चुना होता तो पाकिस्तान बनता ही नहीं ! जिन्ना यही तो चाहते थे जिसे नेहरु ने ठुकरा दिया था .
नेहरु ने पहला विकल्प चुना -मजबूत केंद्रीकृत सत्ता का लेकिन उसका कोई मजबूत आधार होना चाहिए इसकी समझ न उन्हें थी न आज के नेताओं को है.
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अगर दूसरा आप्शन लिया जाता तो आज भारत ३ की जगह करीब २०-२५ भागो में विभाजित रहता.