आधुनिक जीवन में पौराणिक कथाओं की प्रासंगिकता बनी हुई है : गुलजार
नई दिल्ली। अपने राजनयिक दोस्त पवन के वर्मा की काव्य रचना ‘युधिष्ठिर एंड द्रौपदी’ का अनुवाद हिंदी में करने वाले लोकप्रिय गीतकार गुलजार का कहना है कि पौराणिक कथाओं की आज भी जीवन में प्रासंगिकता बनी हुई है और इसे केवल अतीत से नहीं जोड़ना चाहिए। ‘युधिष्ठिर और द्रौपदी’ एक लंबी कविता है जिसमें महाभारत काल में पांडवों और यक्ष के बीच हुए संवाद को काव्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है। राजनयिक और लेखक वर्मा ने द्वापर युगीन इस कथा को अलग व्याख्या के साथ अपनी किताब में प्रस्तुत किया है। राजधानी दिल्ली में पेंगुइन स्प्रिंग फीवर के समापन समारोह में कविता पाठ करते हुए गुलजार ने कहा कि पौराणिक कथाओं को हमारी आधुनिक जीवनशैली से दूर माना जाता है लेकिन यह सही नहीं है। पवन ने आज लोगों की जीवनशैली के साथ प्रासंगिकता रखते हुए जिस तरह से महाभारत की यह कथा लिखी है, उससे मुझे एहसास हुआ कि इसे और अधिक लोगों तक पहुंचना चाहिए। गुलजार ने हाल ही में आई अपनी पुस्तक ‘निगलेक्टड पोयम्स’ से भी रचनाएं पढ़ीं, जिसमें उनके जीवन में हर छोटी बड़ी चीजों का नजरिया झलकता है। 75 वर्षीय कवि और गीतकार ने अपनी जीवंत कल्पनाओं के माध्यम से इस पुस्तक में मुंबई की बारिश, बुनकर, दिल्ली में गर्मी की एक दोपहर और मनुष्य की आत्मा जैसे विषयों को समेटा है।
गुलजार की एक कविता में संगीतकार आरडी बर्मन के साथ उनकी मित्रता की स्मृतियां हैं तो एक में उनकी पुत्री मेघना का जिक्र है। इस पुस्तक का वर्मा ने अंग्रेजी में अनुवाद किया है। भूटान में भारत के राजदूत वर्मा ने मिर्जा गालिब की जीवनी लिखी है और इस महान शायर की कई रचनाओं का अनुवाद भी किया है। गुलजार ने कहा कि इन दिनों अनुवाद बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि औसतन एक शख्स केवल दो से तीन भाषाओं का ज्ञान रख सकता है। भारत में इतनी सारी भाषाएं हैं और इनमें से कई में कविताएं भी लिखी जा रहीं हैं। किसी अनुवादक को उन दोनों भाषाओं में निपुण होना चाहिए, जो मूल रचना की है और जिसमें वह अनुवाद कर रहा है।