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Originally Posted by sombirnaamdev
तार दिल के आज बजा सजना
धुन कोई नयी सुना सजना
जहाँ न कोई गम रहे
खुशियों की न कमी रहे
महफ़िल आज ऐसी कोई सजा सजना
तार दिल के आज बजा सजना
धुन कोई नयी सुना सजना
पास में न कोई तन्हाई हो
चारो तरफ सहनाई हो
गीत कोई ऐसा गुनगुना सजना
तार दिल के आज बजा सजना
धुन कोई नयी सुना सजना
रात हो मधुर मिलन की
हो मुरादें पूरी आज दिलन की
तर दिल के बजा सजना
तार दिल के आज बजा सजना
धुन कोई नयी सुना सजना
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बहुत अच्छा लिखा है मित्र
कुछ त्रुटियों की तरफ आपका ध्यानाकर्षण करना चाहूँगा
भाषा
ये कुंजी होती है किसी भी सफल रचना की
सहनाई = शहनाई
बाकी आपकी रचना सरल शब्दों में है जो की एक बहुत उत्तम गुणवत्ता है