Re: जिसने ग़म को साध लिया
जिसने ग़म को साध लिया ;
जग में पायी है पहचान .
ज़ख्म सजाकर पेश किये ;
ग़ज़लों की चल पड़ी दुकान .
डा . साहब आपकी ये रचना काव्य शास्त्र के अथाह सागर से चुन के लाया हुआ एक नायाब हीरा है ,
सच पूछिए तो आपकी इन्ही कविताओं ने हमें कविताओ शोकीन बना दिया है ,
और हमें साहित्य की डगर पर धकेलने वाले आप और सिर्फ आप है ,धन्यवाद एक बार फिर से ,
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