Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
विकसित की मक्के की नई किस्म
कानपुर। चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के वैज्ञानिकों ने पहली बार मक्का की एक संकर प्रजाति विकसित की है जो न केवल ज्यादा पैदावार देगी बल्कि 90 दिन में पक जाएगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि आजाद संकर मक्का 1 (हाईब्रिड आजाद मेज 1) नाम की यह नई प्रजाति से एक हेक्टेयर में 55 से 60 कुंतल की उपज ली जा सकती है। इस मक्के का इस्तेमाल बेबी कार्न से बनने वाले उत्पादों में बखूबी किया जा सकता है। विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी नौशाद खान ने गुरुवार को बताया कि संस्थान के प्लांट एंड ब्रीडिंग जेनेटिक्स विभाग के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. हरिशचन्द्र ने अखिल भारतीय समन्वय मक्का शोध परियोजना (आल इंडिया मेज कोआर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट) के तहत मक्का की इस हाईब्रिड (संकर) प्रजाति को विकसित किया है। इसे हाल ही में हरियाणा के हिसार के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय में प्रदर्शित किया गया। वहां के कृषि वैज्ञानिकों ने इसको सराहा और अच्छी प्रजाति बताते हुए इसे खेती में प्रोत्साहित करने का अनुमोदन किया। आजाद संकर मक्का 1 की फसल 85 से 90 दिन में तैयार हो जाती है। इस मक्के की बाल तोड़ने के बाद भी इसकी पत्तियां और तना हरा बना रहता है। इस तरह यह जानवरों के चारे के लिए भी अच्छा होता है। डा. खान ने बताया कि इस मक्के में 10 से 12 प्रतिशत प्रोटीन मिलता है तथा इस मक्के को बेबी कार्न की तरह इस्तेमाल कर इससे रायता, चिप्स पकौड़े और मिठाई आदि भी बनाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों के अनुमोदन के बाद उत्तर प्रदेश के किसान मक्के की इस नई संकर प्रजाति का लाभ उठा सकेंगे।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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