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यातायात विभाग का कमाल
एक कवर नोट से कर दिया कई वाहनों का बीमा
जयपुर। आपने राजस्थान में वाहन खरीदा है तो उसका बीमा करवाते समय सतर्क रहें। अपने वाहन का बीमा कवर नोट और इंजन नम्बर के दस्तावेज की जांच बारीकी से करें क्योंकि हो सकता है कि वैसा ही कवर नोट किसी अन्य वाहन स्वामी के पास भी हो और आपके वाहन का इंजन नम्बर का दस्तावेज भी किसी और के पास होने की पूरी गुंजाइश है। एक कवर नोट से दो या उससे अधिक वाहनों का बीमा पंजीयन, वाहन चालक से शुल्क लेना था पांच हजार, जमा किया एक हजार, आपके वाहन का इंजन नम्बर किसी और के वाहन के दस्तावेज में हो सकता है, यह सब भले अटपटा लगे, लेकिन राजस्थान का यातायात विभाग यह सब कमाल कर रहा है। भारत के नियंत्रक एवं महा लेखापरीक्षक (कैग) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार यातायात विभाग ने एक ही बीमा कवर से दो या दो से अधिक वाहनों का बीमा पंजीयन कर दिया। कैग ने परीक्षण के दौरान आठ हजार दो सौ 46 ऐसे प्रकरण पकड़े जिसमें एक ही बीमा कवर नोट का इस्तेमाल एक से अधिक वाहनों के पंजीयन के लिए किया गया। यातायात विभाग के इस कारनामे के कारण महालेखापरीक्षक एक वाहन, एक बीमा के मापदंड़ की जांच नहीं कर सका। परीक्षण में यह भी सामने आया कि चार हजार आठ सौ 69 प्रकरण ऐसे मिले जिसमें कवर नोट नम्बर या तो खाली थे या डाटा खतौनी में जाली नम्बर दर्शाए गए थे। कैग की रिपोर्ट के अनुसार चार हजार छह सौ 96 प्रकरणों में बीमा की अवधि का स्थान रिक्त था और विभाग ने कम्प्यूटर कार्यक्रम में बीमा कवर नोट की प्रविष्टि करना अनिर्वाय नहीं किया। यातायात विभाग का साफ्टवेयर बनाने वाली राज्य सरकार की एजेंसी एनआईसी का कहना है कि यह त्रुटि, बैक एंड प्रविष्टि के कारण हुई क्योंकि बैक एंड से खतौनी प्रविष्ट करने पर जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। महालेखा परीक्षक ने एनआईसी के इस जवाब को मानने से इंकार कर दिया। रिपोर्ट के मुताबिक यातायात विभाग ने एक सौ इक्यासी मामलों में एक ही चैसिस नम्बर को एक से अधिक वाहनों के पंजीयन में तथा आठ सौ तेरह मामलों में एक ही इंजन नम्बर को एक से अधिक वाहनों के पंजीयन में उपयोग किया। यातायात विभाग के पास इंजन एवं चैसिस नम्बर की विशिष्टता के लिए बुनियादी जानकारी, नियंत्रण जांच कम्प्यूटर प्रोग्राम मेंं मौजूद नहीं है। कम्प्यूटर प्रोग्राम बनाने वाली सरकारी एजेंसी एनआईसी ने इसे स्वीकार भी किया है। कैग ने यातायात विभाग में एक और गड़बड़ झाले का खुलासा किया हालांकि इससे वाहन स्वामियों को तो फायदा हुआ लेकिन सरकार को राजस्व हानि उठानी पड़ी। रिपोर्ट के अनुसार यातायात विभाग ने वाहन स्वामी से फैंसी नम्बर प्लेट के लिए निर्धारित शुल्क एक हजार के स्थान पर पांच सौ रुपए और पांच हजार रुपए के स्थान पर एक हजार रुपए शुल्क वसूला। विभाग ने बताया कि साफ्टवेयर में फैंसी नम्बरों की दरें तय नहीं होने के कारण कम वसूली हुई। साफ्टवेयर की इस गलती से कितने वाहन स्वामियों को फायदा मिला और सरकार को कितनी राजस्व हानि उठानी पड़ी इसका जिक्र रिपोर्ट में नहीं किया है हालांकि जिन प्रकरणों की प्रायोगिक जांच की गई उनमेंं सरकार को उन्नीस हजार दो सौ रुपए का नुकसान हुआ। रिपोर्ट के अनुसार यातायात विभाग ने लाईसेंस प्रक्रिया आसान करने के लिए सारथी साफ्टवेयर को अपनाया। विभाग ने वर्ष 2010 में साफ्टवेयर सारथी को विभाग के तीस कार्यालयों और 35 उप परिवहन कार्यालयों में लागू करने की घोषणा की लेकिन यह साफ्टवेयर अक्टूबर 2010 तक केवल चार कार्यालयों में चल रहा था शेष स्थानों पर साफ्टवेयर अस्तित्व में ही नहीं आया। यातायात विभाग ने सारथी साफ्टवेयर का क्रियान्वयन नहीं होने के पीछे कर्मचारियों की कमी को कारण बताया। कैग ने यातायात विभाग की कार्यशैली को लेकर विशेष कर साफ्टवेयर की वजह से वाहन स्वामियों को भविष्य में होने वाली दिक्कतों और साफ्टवेयर के कारण सरकार को हो रहे आर्थिक नुकसान की ओर ध्यान दिलाया है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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