29-04-2012, 04:46 PM
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#156
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
"न जाने क्या मासूमियत थी उस के चेहरे पर,
उस को मनाने से ज़्यादा उस का रूठ जाना अच्छा लगा !!"
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"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!"
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