Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
तन से तन मिला था तेरे,
मन से मन थे मिले !
गरम साँसे पाकर तेरी
मरुस्थल में थे फूल खिले !!
शर्म की ओढ़नी तेजकर देखो
प्यार तेरा पहन लिया !
कुवांरे सपनो को तुने
दुल्हन जैसा सजा दिया !
हर पल हुआ जैसे सिंदूरी,
अब रही न तू अधूरी,
पूरा तुझे जो बना दिया .................. !!!" bahoot khoob janab
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