Re: बाबा रे बाबा , न बाबा न !
भाई निशांत जी ,सही कहते है आप , जब बाबा या साधू का चोला धारण किया तो रुपए पैसे से मोह कैसा ? जो मोह को छोड़ न पाया तो साधू-संत नहीं व्यापारी ही है,
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खुद हँसों औरों को भी हँसाओ, गम को जिन्दगी से दूर भगाओ,क्यों की हँसना ही जिन्दगी है |
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