Re: आपस की बात अलैक शेरमन के साथ (Aapas ki Baat)
एक बार और गौर करने योग्य यह है की पाकिस्तान की जनता भी सेना के शासन का support करती है, वहां ने राजनेताओ पर उन्हें भरोसा नहीं है. दूसरी बात यह भी है की १९६५ और १९७१ की करारी हार के बाद पाकिस्तान के मन में यह हमेशा से संदेह रहा है की उन्होंने secure स्टेट बन कर रहना होगा, सेना पर अधिक से अधिक खर्च करना होगा, नहीं तो हिन्दुस्तान उन्हें तबाह और बर्बाद कर देगा. जहां एक तरफ भारत शुरू से ही welfare स्टेट बनने की राह पर रहा पाकिस्तान secure स्टेट बनते बनते और भी unsecure हो गया. और एक चीज़ यह हुई की वहां धर्म और राजनीति को जोड़ दिया गया. मुल्लो और मौलवीयो का वहां सत्ता के गलियारों में बहुत ही भोकाल हो गया, जिसका नुकसान शुरू से ही पाकिस्तान को उठाना पड़ा.
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