16-11-2010, 07:17 AM
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#8
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Re: ! आशिकाना शायरी !
तू मेरे पास आए और पलट कर ना जाये
मैँ तेरे पाँव की अब जंज़ीर होना चाहता हूँ॥
अज़ल से ख्वाब बनकर तेरी आँखोँ मैँ रहा हूँ
मैँ अब शर्मीन्दा ए ताबीर होना चाहता हूँ॥
इसलिए मसमार खुद को कर रहा हूँ मैँ
मैँ तेरे हाथ से अब तामीर होना चाहता हूँ॥
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शेर-ऐ-आशिक
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