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न्यायिक आयोग के गठन की सिफारिश
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर पर केन्द्र की ओर से नियुक्त वार्ताकारों ने राज्य में बगैर पहचान चिह्न वाली कब्रों में पड़े शवों की पहचान के लिए सर्वश्रेष्ठ नियम प्रक्रिया पर विचार करने के लिए न्यायिक आयोग बनाने की सिफारिश की है। वार्ताकारों ने अपनी रपट में सत्य एवं सामंजस्य आयोग बनाने का सुझाव दिया है ताकि आतंकवादी सहित मानवाधिकार उल्लंघन के दोषी पीड़ित परिवारों से माफी मांग सकें। गुरुवार को सार्वजनिक की गई इस रपट में सुझाव दिया गया है कि राज्य की न्यायिक संस्थाओं को पुनर्जीवित करने की महत्वपूर्ण जरूरत है। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी की टिप्पणी का जिक्र है कि जम्मू और कश्मीर को इंसानियत के दायरे में देखना है। वार्ताकारों ने राज्य में जमीनी हालात सुधारने के लिए कई उपाय सुझाए हैं। रपट में कहा गया कि राज्य मानवाधिकार आयोग ने उन शवों की पहचान के लिए डीएनए परीक्षण की सिफारिश की है, जिन्हें बिना पहचान चिह्न वाली कब्रों में दफन किया गया है। मुख्यमंत्री ने इस सिफारिश को लागू करने का वायदा किया है। इसमें कहा गया कि अधिकांश ऐसे शव आतंकवादियों के हैं। इनमें से कुछ ऐसे हैं जो पाक अधिकृत कश्मीर या पाकिस्तान से आए थे। पाकिस्तान के अधिकारियों और सशस्त्र समूहों के बीच बेहद पेचीदा रिश्तों की चर्चा करते हुए रपट में कहा गया है कि ऐसे लापता लोगों के परिजनों का डीएनए मुहैया कराने में पाकिस्तान सरकार के लिए सहयोग करना आसान न होगा।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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