Re: मीडिया स्कैन
एक और विस्तार
संविधान सभा का कार्यकाल पांचवीं बार बढ़ाने की सिफारिश की गई है। पहले भी जब राजनीतिक पार्टियों ने संविधान सभा के कार्यकाल बढ़ाने के फैसले लिए तो लोगों में आक्रोश दिखा। कई लोग मानते हैं कि नेपाल की राजनीतिक पार्टियां तय वक्त में संविधान तैयार करने में अक्षम हैं। यह एक बड़ी विफलता है। पार्टियां अपने राजनीतिक कर्तव्य से मुंह चुरा रही हैं। दलील यह भी दी जा रही है कि कार्यकाल बढ़ाने की सिफारिश असंवैधानिक है, क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले की चुनौती है, जिसमें कहा गया है कि संविधान सभा का चौथा कार्यकाल ही आखिरी होगा। इससे अधिक निराशा की बात क्या हो सकती है कि राजनीतिक पार्टियां नेपाली जनता को यह समझाने में विफल हैं कि समय-सीमा खत्म होने को है और उनकी तैयारियां अधूरी हैं। ऐसे में उन शीर्ष नेताओं की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, जो संविधान सभा का कार्यकाल बढ़ाने के पक्ष में हैं। उन्हें अगले विस्तार की प्रासंगिकता बतानी होगी। माओवादी नेता पुष्पकमल दहल प्रचंड और प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई ने हाल में राजनीतिक व्यावहारिकता दिखाई है। वे कहते रहे कि निर्धारित तारीख आखिरी होगी पर अब ऐन मौके पर वे मुकर रहे हैं। इससे जनता की नजरों में उनकी साख घटी है।
-द काठमांडो पोस्ट
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