Re: श्रीयोगवशिष्ठ
इस पुरुष के सामने किसी का बल नहीं चलता यह साक्षात् ही काल की मूर्ति हैं जो तपस्वी कहिये तो भी इन के समानदूसरा नहीं है और शस्त्र और अस्त्रविद्या भी इनके सदृशकोई नहीं जानता क्योंकि दक्ष प्रजापति ने अपनी दो पुत्रियाँ जिनका नाम जया और सुभगा था विश्वामित्र जी को दी थीं जिन्होंने पाँच पाँच सौ पुत्र दैत्यों के मारने के लिये प्रकट किये वे दोनों इनके सम्मुख मूर्ति धारण करके स्थित होती हैं इससे कौन जीत सकता है? जिसके साथी विश्वामित्रजी हों उसको किसी का भय नहीं । आप इनके साथ अपना पुत्र निस्संशय होकर दो । किसी को सामर्थ्य नहीं कि इनके होते तुम्हारे पुत्र को कुछ कह सके । जैसे सूर्य के उदय से अन्धकार का अभाव हो जाता है वैसे ही इनकी दृष्टि से दुःख का अभाव हो जाता है । हे राजन! इनके साथ तुम्हारे पुत्र को कोई खेद न होगा । तुम इक्ष्वाकु के कुल में उत्पन्न हुए हो और दशरथ तुम्हारा नाम है, जो तुम ऐसे हो अपने धर्ममें स्थित न रहे तो और जीवों से धर्म का पालन कैसे होगा? जो कुछ श्रेष्ठ पुरुष चेष्टा करते हैं उनके अनुसार और जीव भी करते हैं ।
|