Re: मीडिया स्कैन
सीरियाई अराजकता के खतरे
लीबिया में मित्र राष्ट्रों की उपस्थिति कमजोर रही और ओबामा प्रशासन ने वहां नेपथ्य से नेतृत्व करने की रणनीति अपनाई। जाहिर है लीबिया में आक्रामक सैन्य कार्रवाई नहीं हुई। नतीजतन विद्रोही सेनाओं को काबू में रखने के लिए कुछ भी नहीं किया जा सका, जबकि बागी संगठनों में से कई के तार अलकायदा से जुड़े थे। इन बेलगाम विद्रोही फौजों ने लीबियाई तानाशाह गद्दाफी द्वारा जुटाए गए रॉकेटों और मिसाइलों को लूट लिया। कमोबेश इसी तरह का खतरा सीरिया में पैदा हो रहा है। हालांकि वहां राष्ट्रपति असद को ईरान का समर्थन मिला रहा है, वहीं असद विरोधी अभियान में अलकायदा की भूमिका अहम हो गई है। सीरिया की लड़ाई लंबी चली, तो अलकायदा से जुड़े संगठन अपनी स्थिति और मजबूत कर लेंगे, जबकि असद पर तेहरान का प्रभाव गहराता जाएगा। सीरिया के इस अराजक माहौल में उसके नरसंहारकारी हथियार चरमपंथी गुटों के हाथ लग सकते हैं। वहां सैन्य कार्रवाई को लेकर रूस और चीन विरोध कर रहे हैं। ऐसे में इन दोनों देशों की जिम्मेदारी बनती है कि वे वहां जंग रोकने लायक दबाव बनाएं।
-द जेरूसलम पोस्ट
इजरायल का प्रमुख अखबार
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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