आज पाकिस्तान के जानेमाने गजल गायक मेहँदी हसन का निधन हो गया. मेहँदी हसन की आवाज को खुदा की आवाज कहने वाली लता से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी भी गजल के इस बादशाह के मुरीदों में शामिल हैं।
हसन साहब ने फन की सौदेबाजी नहीं की, लिहाजा पैसा कभी जोड़ नहीं पाए। अधिकांश समारोहों में तो वे मुफ्त ही गाया करते थे। रिकॉर्डिंग कंपनियों से मिलने वाला पैसा ही आय का मुख्य जरिया था, जो उस समय बहुत कम होता था।
इस महान कलाकार को मेरी तरफ से श्रन्धांजलि.
अलविदा शहंशाह-ए-ग़ज़ल