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Originally Posted by abhisays
ऐसे पता नहीं कितने ही फोरम खुल गए.. और इससे सबसे ज्यादा नुक्सान हिंदी का हुआ. यह सभी सदस्य एक जगह योगदान देने के बजाय अलग अलग बट गए.
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आपके इस कथन से हम १०० प्रतिशत सहमत हैं !!
हमारे दिल में भी इस बात का दर्द है, की सारे संगी साथी इधर उधर बिखर गए !!