Re: मीडिया स्कैन
एक अफसोसनाक कदम
चुने गए वजीर-ए-आजम को नाकाबिल करार देते हुए शीर्ष अदालत ने न सिर्फ असाधारण बल्कि अफसोसनाक कदम उठाया है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रक्रिया सम्बंधी फैसला दिया होता, तो इस कहानी को ऐसा रूप दिया जा सकता था, जिससे मुल्क में मजबूत हो रही जम्हूरियत की जड़ों को कम से कम नुकसान पहुंचता और न्यायपालिका, पार्लियामेंट तथा कार्यपालिका टकराव के जिस मोड़ पर खड़ी दिख रही हैं, उससे भी बचा जा सकता। इस मामले में ऐसे कई पड़ाव आए थे, जब अदालत अवमानना के इस मुकदमे को नजरअंदाज कर सकती थी। खासकर इस बात के मद्देनजर वह ऐसा कर सकती थी कि जिस करप्शन के मामले को लेकर वह संजीदा है, वह सदर से बाबस्ता है न कि वजीर-ए-आजम से। कानूनी तौर पर भले ही पीएम के खिलाफ मामला बन रहा हो, पर शीर्ष अदालत के लिए बेहतर यही था कि वह सियासत के पानी में यों गहरे न उतरती। अच्छा होता कि स्पीकर को फैसला लेने दिया जाता। यह मुमकिन नहीं था, तो सुप्रीम कोर्ट स्पीकर के फैसले को नामंजूर करते हुए इसे इलेक्शन कमीशन को भेज सकता था।
-द डॉन
पाकिस्तान का प्रमुख अखबार
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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