Re: मीडिया स्कैन
अधर में लटके फैसले
शीर्ष अदालत द्वारा यूसुफ रजा गिलानी को 26 अप्रैल से ही वजीर-ए-आजम के ओहदे के नाकाबिल करार दिए जाने से अजीब हालात पैदा हो गए। 26 अप्रैल से 19 जून के बीच उनके द्वारा लिए गए फैसलों को लेकर अफवाहों और अटकलों का बवंडर खड़ा हो गया था। इस दरम्यान लिए गए तमाम फैसलों को कानून सम्मत बनाने के लिए एक ऑर्डिनेंस लाया गया। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के हवाले से कहा गया कि यदि ऑर्डिनेंस के जरिए उन फैसलों को कानूनन जायज नहीं बनाया जाता, तो नए वजीर-ए-आजम राजा परवेज अशरफ के लिए काम करना मुश्किल हो जाता। जहां तक इस ऑर्डिनेंस का सवाल है, इसमें ऐसा कुछ नहीं है, जिससे कोई बवाल पैदा हो सके। अलबत्ता इसके जारी करने के वक्त को लेकर कुछ सवाल उठाए जा सकते हैं। कई कानूनदां पहले से कह रहे हैं कि ऐसे ऑर्डिनेंस को शीर्ष अदालत में चुनौती दी जा सकती है। ऐसे में क्या यह बेहतर नहीं होता कि सरकार अध्यादेश जारी करने से पहले शीर्ष अदालत के तफसील फैसले का इंतजार कर लेती, यह वक्त धैर्य और परिपक्वता दिखाने का है, न कि टकराव मोल लेने का।
- द न्यूज
पाकिस्तान का प्रमुख अख़बार
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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