Re: डार्क सेंट की पाठशाला
सपने को हकीकत में बदलें
अक्सर लोग अपने सपनों को बहुत सीमित कर लेते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। आप अपने सपनों को बख्श दें। उन पर कोई सीमा न लादें। यथार्थवादी तो योजनाओं को होना चाहिए, सपनों को नहीं। दरअसल लोग अपने सपनों को उसी तरह सीमित कर लेते हैं, जिस तरह वे अपनी जीत को कर लेते हैं। यह तय मानें कि बुरी से बुरी स्थिति में भी सपने हानिरहित होते हैं, इसलिए उन्हें सीमित न करें। आपको यह भी पूरी छूट है कि आप जितने चाहें उतने ऊंचे, लंबे-चौड़े, बड़े, असंभव, अतिरंजित, अजीबोगरीब, अनोखे या अयथार्थवादी सपने देखें। आपको इस बात की भी छूट है कि आप अपने दिल में कोई भी हसरत रख सकते हैं। हरसतें और सपने निजी मामले हैं। हसरतों पर पुलिस निगरानी नहीं करती है, न ही सपनों के डॉक्टर होते हैं, जो अयथार्थवादी मांगों के लिए इंजेक्शन लगा देंगे। यह आपके और सपनों के बीच का निजी मामला है। आपके अलावा कोई और है ही नहीं। हां, इस बारे में बहुत सतर्क रहें कि आप किस तरह की इच्छा करते हैं या सपने देखते हैं। ध्यान रहे कि आपकी इच्छा या सपना साकार हो सकता है। फिर आपका क्या होगा? बहुत से लोग सोचते हैं कि उन्हें सिर्फ यथार्थवादी सपने ही देखने चाहिए। यह गलत बात है। यथार्थवादी तो योजना होनी चाहिए और वह बिलकुल अलग चीज है। हर समझदार शख्स योजनाएं बनाता है और उन्हें पूरा करने के लिए तार्किक कदम उठाता है, लेकिन सपने तो असंभव हो सकते हैं। उन्हें इतना असंभव बनने की छूट है कि उनके साकार होने की रत्ती भर भी संभावना न हो और यह न सोचें कि आप खुली आंखों से सपने देखकर कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे। सबसे सफल लोगों में से कई ऐसे थे, जिन्होंने सबसे ज्यादा सपने देखने का जोखिम लिया। यह महज संयोग नहीं है। इसलिए सपने देखें और उन्हें पूरा करने की भी ठानें। यह तय मानिए कि अगर आपने सपने को हकीकत में बदलने की ठान ली, तो आप कामयाब भी होंगे।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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