Re: डार्क सेंट की पाठशाला
एक वैज्ञानिक की उदारता
प्रसिद्ध वैज्ञानिक वॉटसन अक्सर अपने अनुसंधानों के लिए घर से बाहर रहते थे। इसके अलावा उन्हें कई देशों में व्याख्यानों के लिए भी जाना पड़ता था। वे जहां भी जाते थे, लोगों को विज्ञान से जुड़े बारीक से बारीक विषयों पर पूरी जानकारी भी दिया करते थे। इसके चलते लोगों में उन्हें सुनने और उनसे विज्ञान से जुड़ी जानकारियां हासिल करने की लालसा बनी ही रहती थी। इसी के चलते उन्हें कई-कई दिनों तक घर से बाहर रहना पड़ता था। उनकी पत्नी उनके लौटने का इंतजार ही करती रहती थी। एक बार लंबे विदेश दौरे से स्वदेश वापसी से पहले वॉटसन ने अपने घर पत्नी को संदेश भिजवाया कि मैं अमुक तारीख को वापस घर आ रहा हूं। तुम मुझे लेने गाड़ी लेकर जरूर स्टेशन पहुंच जाना। यह संदेश पाकर वॉटसन की पत्नी काफी प्रसन्न हुईं। उन्होंने अपने पति के स्वागत की तैयारी शुरू कर दी। निश्चित दिन वह नौकर को साथ लेकर गाड़ी से रेलवे स्टेशन पहुंच गईं। उन्होंने गाड़ी में बैठे-बैठे ही नौकर को अपने साहब को लेकर आने को कहा। नौकर नया था। उसे कुछ दिन पहले ही काम पर रखा गया था। वह वॉटसन को नहीं पहचानता था। उसने मालकिन से साहब की पहचान पूछी। वॉटसन की पत्नी ने कहा - तुम्हें सूट-बूट में कोई अधेड़ व्यक्ति अपने ब्रीफकेस के अलावा किसी और का भी सामान उठाया हुआ दिखाई दे, तो समझ लेना वही तुम्हारे साहब हैं। नौकर सुन हैरान रह गया। जब प्लेटफॉर्म पर पहुंचा, तो देखा कि शालीन कपड़े पहने, हैट लगाए एक सज्जन एक हाथ में ब्रीफकेस और दूसरे हाथ में एक वृद्धा का बड़ा ट्रंक उठाए चले आ रहे हैं। उनके चेहरे के हाव-भाव और सेवा भावना से नौकर समझ गया कि जरूर वही उसके साहब होंगे। वह उनके प्रति श्रद्धा से भर उठा। उसका अनुमान सही था। वही वॉटसन थे। उसने अपने मालिक को अपना परिचय दिया और उन्हें लेकर आ गया। वॉटसन इसी तरह हर मौके पर दूसरों की मदद का कोई अवसर नहीं चूकते थे। अनेक लोगों ने इसी कारण उन्हें अपना आदर्श माना था और वे उन्हीं के जैसा आचरण करने की कोशिश करते थे।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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