Re: आइए भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएं
एक बात स्पष्ट हुई है कि जिस आंदोलन को घोर राजनीति विरोधी कहा गया और जिसे बाद में काँग्रेस विरोधी और बीजेपी समर्थक माना गया, वो आंदोलन इन दोनों धाराओं से मुक्त हो चुका है या वो दब चुकी हैं.
आंदोलन की मुख्य धारा अब मौजूदा राजनीति को अंगीकार करने और उसके जरिए परिवर्तन करने का प्रयास करेगी.
अन्ना अपने वक्तव्यों में, प्रशांत भूषण अपने लेखन में और अरविंद केजरीवाल अपनी किताब में जो बातें कहते रहे हैं वो सब मिलकर एक राजनीतिक व्यवस्था की रूपरेखा तैयार करते हैं. पर सवाल ये है कि क्या ये लोग उसे हासिल करने में सफल होंगे?
ये बहुत कठिन काम है. भारत जैसे विशाल देश की राजनीतिक व्यवस्था को बदलना आसान काम नहीं है. कोशिशें ज़रूर हुई हैं और लोग असमर्थ रहे हैं.
ये कुछ ऐसा ही है कि पिछले डेढ़ सौ सालों में पूँजीवाद को बदलने की कोशिशें हुई हैं पर पूँजीवाद नहीं बदला. इसका मतलब ये नहीं कि बदलाव की कोशिशें ही व्यर्थ हैं या उनसे कोई बदलाव नहीं हुआ है.
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