03-08-2012, 04:34 PM
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Re: राजनीति के माध्यम से 'देश-सेवा' का ठेका
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Originally Posted by dark saint alaick
आप सभी को संभवतः स्मरण होगा कि अन्ना हजारे ने जब से भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन शुरू किया, तभी से कांग्रेस के कई सिंह, सिंघवी, तिवारी, द्विवेदी, सिब्बल, अल्वी और खुर्शीद आदि-आदि बार-बार उन्हें चुनौती देते रहे कि यदि वे क़ानून बनाना चाहते हैं, तो चुनाव लड़ें और संसद में आएं ! अब जब टीम अन्ना यह कदम उठाने जा रही है, तो वे सब कांग्रेसी यह कह कर विलाप में जुटे हैं कि 'टीम अन्ना का असली मकसद सामने आ गया' अथवा 'हम तो पहले ही कहते थे कि इनका उद्देश्य यही है' ! यहां सवाल उठता है कि आखिर आपको आपत्ति किस वज़ह से है ? क्या राजनीति के माध्यम से तथाकथित 'देश-सेवा' का ठेका आपने लिया हुआ है कि इस ओर और कोई नहीं देख सकता और फिर यह ठेका आपको दिया किसने है ? उम्मीद की जानी चाहिए कि देश को शीघ्र ही एक नया स्वच्छ और भ्रष्टाचार मुक्त राजनीतिक गठबंधन उपलब्ध हो जाएगा !
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सामने वाले को गलत साबित कर खुद को सही सिद्ध करना - धूर्त राजनीतिज्ञो का यही तरीका है। खुद राजनीति कर रहे है तो सही, और अगर सामने वाला कर रहा है तो गलत। अगर टीम अन्ना का "असली मकसद" इन्हे दिख ही गया, तो इनके पेट मे मरोड़ क्यो होने लगा। "राजनीति" करने का "लाईसेंस" यही लोग देते है क्या? और क्या टीम अन्ना के लोग इनसे बिना "लाईसेंस" लिए ही "राजनीति" करने जा रहे है? दूसरे की तरफ अंगुली उठाने वाले, पहले ये भी देख ले की चार उंगुली उनके तरफ भी है। मगर बेशर्मी से कह देंगे की ये हमारे विरोधियों की चाल है।
अन्ना हज़ारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जब संधर्ष शुरू किया तो सारे भ्रष्टाचारी नेता, चाहे वो किसी भी दल के हो, पूरा दाना पानी लेकर टीम अन्ना के खिलाफ मुहिम मे जुट गए थे। सबका इतिहास ढूंढ रहे थे, अन्ना को सेना से भगोड़ा बताने के लिए एड़ी चोटी एक किए हुये थे, पाँच साल बाद अरविंद केजरीवाल के पास लाखो रुपये चुकाने के लिए विभागीय नोटिश आता है। वही सभी भ्रष्टाचारी नेता आराम से स्विस बैंक मे अपना बैंक बैलेन्स बढ़ाने मे लगे हुये रहते है। एक माननीय मंत्री जी संसद भवन खुलेआम अन्ना हज़ारे का माखौल उड़ाते है, और बाकी मंत्री बेशर्मी से उसपर ठहाका लगाते है। कोई उनको चुनाव लड़कर जीतने के लिए ललकारता है, कोई उनके दौड़ने पर आश्चर्य करता है.... हद हो गई भाई। मगर किसी ने इसके पीछे छिपी मंशा पर कुछ नहीं बोला। बोलते भी कैसे..... भला कोई अपने पैर मे कुल्हाड़ी कैसे मार सकता है? कैसे कह सकता है की देश मे भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिये। कैसे कहे की मुझे जेल भेज दो। बेहतर है की अन्ना को ही जेल भेज दो। कैसे कहे की हम दोषी है, इसीलिए अन्ना को दोषी कह दो। कैसे कहे की भ्रष्टाचार खत्म करो, इसीलिए अन्ना को खत्म कर दो।
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