View Single Post
Old 12-08-2012, 02:30 PM   #11
stolen heart
Member
 
Join Date: Jun 2012
Posts: 174
Rep Power: 12
stolen heart will become famous soon enough
Default Re: कुरआन और विज्ञान |

भू-विज्ञान
earth science
तंबुओं के खूंटों की प्रकार, पहाड़
भू-विज्ञान में.. ‘बल पड़ने, folding की सूचना नवीनतम शोध का यथार्थ है। पृथ्वी के ‘पटल crust में बल पड़ने के कारणों से ही पर्वतों का जन्म हुआ। पृथ्वी की जिस सतह पर हम रहते हैं किसी ठोस छिलके या पपड़ी की तरह है, जब कि पृथ्वी की भीतरी परतें layer बहुत गर्म और गीली हैं यही कारण है कि धरती का भीतरी भाग सभी प्रकार के जीव के लिये उपयुक्त नहीं है। आज हमें यह मालूम हो चुका है कि पहाड़ों की उत्थापना के अस्थायित्व stability का सम्बंध पृथ्वी की परतों में बल (दरार) पड़ने की क्रिया से बहुत गहरा है क्योंकि यह पृथ्वी के पटल पर पड़ने वाले ‘‘बल flods ही हैं जिन्होंने ज़न्ज़ीरों की तरह पहाड़ों को जकड़ रखा है। भू विज्ञान विशेषज्ञों के अनुसार पृथ्वी की अर्द्धव्यासः radius की आधी मोटाई यानि 6.035 किलो मीटर है और पृथ्वी के धरातल जिसपर हम रहते हैं उसके मुक़ाबले में बहुत ही पतली है जिसकी मोटाई 2 किलो मीटर से लेकर 35 किलो मीटर तक है इसलिये इसके थरथराने या हिलने की सम्भावना भी बहुत असीम है ऐसे में पहाड़ किसी तंबू के खूंटों की तरह काम करते हैं जो पृथ्वी के धरातल को थाम लेते हैं और उसे अपने स्थल पर अस्थायित्व प्रदान करते हैं। पवित्र क़ुरआन भी यही कहता है:
क्या यह घटना (वाक़िया) नहीं है कि हम ने पृथ्वी को फ़र्श बनाया और पहाड़ों को खूंटों की तरह गाड़ दिया (अल-क़ुरआन: सूर 78 आयत ..6से 7)


यहां अरबी शब्द ‘‘औताद‘‘ का ‘अर्थ‘ भी खूंटा ही निकलता है वैसे ही खूंटे जैसा कि तंबुओं को बांधे रखने के लिये लगाए जाते हैं पृथ्वी के दरारों folds या सलवटों की हुई बुनियादें भी यहीं गहरे छुपी हैं। earth नामक अंग्रेजी़ किताब विश्व के अनेक विश्व विद्यालयों में भू-विज्ञान के बुनियादी उदाहरणों पर आधारित पाठयक्रम की पुस्तक है इसके लेखकों में एक नाम डा. फ्रेंकप्रेस का भी है, जो 12 वर्षा तक अमरीका के विज्ञान-अकादमी के निदेशक रहे जबकि पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति जिमीकार्टर के शासन काल में राष्ट्रपति के वैज्ञानिक सलाहकार भी थे इस किताब में वह पहाडों की व्याख्या:कुल्हाड़ी के फल जैसे स्वरूप wedge-shape से करते हुए बताते हैं कि पहाड़ स्वयं एक व्यापकतम अस्तित्व का एक छोटा हिस्सा होता है जिसकी जड़ें पृथ्वी में बहुत गहराई तक उतरी होती हैं। संदर्भ ग्रंथ:earth फ्रेंकप्रेस और सिल्वर पृष्ट 435 ,, earth science टॉरबुक और लिटकन्ज पृष्ट 157
ड़ॉ॰ फ्रेंकप्रेस के अनुसार पृथ्वी-पटल की मज़बूती और उत्थापना के अस्थायित्व में पहाड़ बहुत महत्पूर्ण भूमिका निभाते है।
पर्वतीय कार्यों की व्याख्या करते हुए पवित्र क़ुरआन स्पष्ट शब्दों में बताता है कि उन्हें इसलिये बनाया गया है ताकि यह पृथ्वी को कम्पन से सुरक्षित रखें।
‘‘और हम ने पृथ्वी में पहाड़ जमा दिये ताकि वह उन्हे लेकर ढ़ुलक न जाए‘‘ । (अल..क़ुरआन: सूर: 21 आयात.. 31)
इसी प्रकार का वर्णन सूर 31: आयत. 10 और सूर: 16 .. आयत 15 में भी अवतरित हुए
हैं अतः पवित्र क़ुरआन के उप्लब्ध बयानों में आधुनिक भू विज्ञान की जानकारियां पहले से ही मौजूद हैं।
पहाड़ों को मज़बूती से जमा दिया गया है
पृथ्वी की सतह अनगिनत ठोस टुकडों यानि ‘प्लेटा‘ में टूटी हुई है जिनकी औसतन मोटाई तकरीबन 100 किलो मीटर है। यह प्लेटें आंशिक रूप से पिंघले हुए हिस्से पर मानो तैर रही हैं। उक्त हिस्से को उद्दीपक गोले aestheno sphere कहा जाता है। पहाड़ साधारणतया प्लेटों के बाहरी सीमा पर पाए जाते है। पृथ्वी का धरातल समुद्रों के नीचे 5 किलो मीटर मोटा होता है जबकि सूखी धरती से सम्बद्ध प्लेट की औसत मोटाई 35 किलो मीटर तक होती है। अलबत्ता पर्वतीय श्रृंख्लाओं में पृथ्वी के धरातल की मोटाई 80 किलो मीटर तक जा पहुंचती है, यही वह मज़बूत बुनियादें है जिनपर पहाड़ खड़े है। पहाड़ों की मज़बूत बुनियादों के विषय में पवित्र क़ुरआन ने कुछ यूं बयान किया है
‘‘और पहाड़ इसमें उत्थापित किये ( गाड़ दिये )। (अल.क़ुरआन: सूर: 79 आयत ..32 )
इसी प्रकार का संदेश सूरः 88 आयत .19 में भी दिया गया है ।
अतः प्रमाणित हुआ कि पवित्र क़ुरआन में पहाड़ों के आकार. प्रकार और उसकी उत्थापना के विषय में दी गई जानकारी पूरी तरह आधुनिक काल के भू वैज्ञानिक खोज और अनुसंधानों के अनुकूल है।
stolen heart is offline   Reply With Quote