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Old 12-08-2012, 02:38 PM   #20
stolen heart
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stolen heart will become famous soon enough
Default Re: कुरआन और विज्ञान |

शुक्राणु: न्यूनतम द्रव
पवित्र क़ुरआन में कम से कम ग्यारह बार दुहराया गया है कि मानव जाति की रचना‘ वीर्य नुत्फ़ा‘‘ से की गई है जिसका अर्थ द्रव का न्युनतम भाग है। यह बात पवित्र क़ुरआन की कई आयतों में बार बार आई है जिन में सूरः 22 आयत 15 और सूरः 23 आयत 13
के अलावा सूर: 16 आयत 14, सूर: 18 आयत .37, सूर: 35 आयत. 11, सूरः 36 आयत 77, सूरः 40 आयत .67, सूर: 53 आयत 46, सूर: 76 आयत .2, और सूर: 80 आयत .19 शामिल हैं।
विज्ञान ने हाल ही में यह खोज निकाला है कि ‘‘अण्डाणुvum को काम में लाने के लिये औसतन तीस लाख वीर्य‘ शुक्राणु:sperms में से सिर्फ़ एक की आवश्यकता होती है। अर्थ यह हुआ कि स्खलित होने वाली वीर्य की मात्रा का तीस लाखवां भाग या 1/30,000,00 प्रतिशत मात्रा ही गर्भाधान के लिये पर्याप्त होता है।
‘सुलाला: प्रारम्भिक द्रव ,के गुण
‘‘ फिर उसकी नस्ल एक ऐसे रस से चलाई जो तुच्छ जल की भांति है‘‘(अल-क़ुरआन: सूर: 22 आयत .8)
अरबी शब्द ‘सुलाला‘ से तात्पर्य किसी द्रव का सर्वोत्तम अंश है। सुलाला का शाब्दिक अर्थ‘ नवजात शिशु‘‘ भी है। अब हम जान चुके हैं कि स्त्रैन अण्डे की तैयारी के लिये पुरूष द्वारा स्खलित लाखों करोडो़ वीर्य शुक्राणुओं में से सिर्फ़ एक की आवश्यकता होती है। लाखों करोड़ों में से इसी एक वीर्य शुक्राणु :sperm को पवित्र क़ुरआन ने ‘सुलाला‘ कहा है। अब हमें यह भी पता चल चुका है कि महिलाओं में उत्पन्न हज़ारों ‘अण्डाणुओं‘ ovam में से केवल एक ही सफल होता है। उन हज़ारों अंडों में से किसी एक कर्मशील और योग्य अण्डे के लिये पवित्र क़ुरआन ने सुलाला शब्द का प्रयोग किया है। इस शब्द का एक और अर्थ भी है किसी द्रव के अंदर से किसी रस विशेष का सुरक्षित स्खलन। इस द्रव का तात्पर्य पुरूष और महिला दोनों प्रकार के प्रजनन द्रव भी हैं जिनमें लिंगसूचक ‘युग्मक: gametes (वीर्य) मौजूद होते है। गर्भाधान की अवधि में स्खलित वीर्यों से दोनों प्रकार के अंडाणु ही अपने รตअपने वातावरण से सावधानी पूर्वक बिछड़ते हैं।
संयुक्त वीर्यः परस्पर मिश्रित द्रव
‘‘हम ने मानव को एक मिश्रित वीर्य से पैदा किया ताकि उसकी परीक्षा लें और इस उद्देश्य की पूर्त्ति के लिये हमने उसे सुनने और देखने वाला बनाया‘‘ । (अल-क़ुरआन सूर 76 आयत 2)
अरबी शब्द ‘नुत्फ़तिन इम्शाज‘‘ का अर्थ मिश्रित द्रव है। कुछेक ज्ञानी व्याख्याताओं के अनुसार मिश्रित द्रव का तात्पर्य पुरूष और महिला के प्रजनन द्रव हैं: पुरूष और महिला के इस द्वयलिंगी मिश्रित वीर्य को ‘‘युग्मनर्ज: Zygote जुफ़्ता कहते हैं जिसका पूर्व स्वरूप भी वीर्य ही होता है। परस्पर मिश्रित द्रव का एक दूसरा अर्थ वह द्रव भी हो सकता हैं। जिसमें संयुक्त या मिश्रित वीर्य शुक्राणु या वीर्य अण्डाणु तैरते रहते है। यह द्रव कई प्रकार के शारिरिक रसायनों से मिल कर बनता है जो कई शारिरिक ग्रंथियों से स्खलित होता है। इस लिये ‘नुत्फ़ा ए इम्शाजः संयुक्त वीर्य‘ यानि परस्पर मिश्रित द्रव के माध्यम से बने नवीन पुलिगं या स्न्नीलिगं वीर्य द्रव्य या उसके चारों ओर फैले द्रव्यों की ओर संकेत किया जा रहा है।
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