View Single Post
Old 15-08-2012, 01:32 AM   #106
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: डार्क सेंट की पाठशाला

बापू के उपदेश ने बदली सोच

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देश को आजाद करवाने के लिए जो जंग लड़ी वह अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही लड़ी थी । वो मानते थे कि अहिंसा में इतनी ताकत होती है कि बड़े से बड़ा आदमी भी उसके आगे झुकने को मजबूर हो जाता है। बात उन दिनों की है जब महात्मा गांधी अंग्रेजों से देश को आजाद कराने के लिए विभिन्न मोर्चों पर संघर्ष कर रहे थे। इस कड़ी में जनसंपर्क कर अधिकाधिक लोगों को अपने अभियान में शामिल करना उनका प्रमुख लक्ष्य था। इसके लिए महात्मा गांधी कई शहरों व गांवों में जाते थे और लोगों को राष्ट्र-हितकारी कार्यों से जुड़ने के लिए प्रेरित करते थे। इसी सिलसिले में एक बार महात्मा गांधी दिल्ली के किसी मोहल्ले में रुके हुए थे। एक दिन वे अपने कमरे में कोई आवश्यक कार्य कर रहे थे कि उन्हें किसी की बातचीत सुनाई दी। बातचीत एक लड़के और लड़की के बीच हो रही थी और अंग्रेजी में हो रही थी। महात्मा गांधी ने दोनों को भीतर बुलाकर पूछा-आप कौन हैं? दोनों अचकचा गए और कुछ बोल ही नहीं पाए क्योंकि महात्मा गांधी उन्हें भली-भांति जानते थे। महात्मा गांधी ने फिर पूछा- बोलो, आप कौन हो? दोनों ने कहा-बापू हम सगे भाई.बहन हैं। महात्मा गांधी ने अगला प्रश्न किया- तुम कहां के रहने वाले हो? उत्तर मिला- पंजाब के। महात्मा गांधी बोले- तुम तो पंजाबी और हिंदी दोनों भाषाएं जानते हो फिर बातचीत में इनका प्रयोग क्यों नहीं करते? अंग्रेजी के गुलाम बनकर अपने देश की भाषाओं पर तुम अत्याचार कर रहे हो। अंग्रेजी को मैं बुरी भाषा नहीं मानता, किंतु उसके लिए मातृभाषा का तिरस्कार करना उचित नहीं है। ऐसे लोगों से अंग्रेजी में जरूर बात करो जो हमारी भाषाएं नहीं समझते। विश्व की सभी भाषाएं सम्मान के योग्य हैं किंतु स्वदेश में मातृभाषा का ही प्रयोग करना चाहिए। राष्ट्र के प्रति निष्ठा व्यक्त करने का यह एक माध्यम है। दोनों भाई-बहनों ने बापू से क्षमा मांगी और उन्हे वचन दिया कि वे दोनो तो अब आपस में मातृभाषा में बात करेंगे ही, अपने परिचितों से भी ऐसा ही करने का आग्रह करेंगे।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु

Last edited by Dark Saint Alaick; 15-08-2012 at 01:34 AM.
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote