Re: डार्क सेंट की पाठशाला
दुनिया को एकजुट करती है तकनीक
आधुनिक तकनीक ने हमें वैश्विक रूप से एकजुट होने की ताकत प्रदान की है। यह पहला अवसर है, जब आम लोगों को दुनिया को बदलने की ताकत मिली है। अब चंद शक्तिशाली लोग मनमाने ढंग से अपने देश की विदेश नीति तय नहीं कर सकते। विदेश नीति तय करते समय उन्हें लोगों की भावनाओं का ध्यान रखना होगा, जो इंटरनेट के जरिए बाकी दुनिया से जुड़े हैं। समय के साथ समस्याओं का स्वरूप बदला है। आज से दो सौ साल पहले की घटना को याद कीजिए, जब ब्रिटेन में गुलामों के व्यापार को लेकर जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे। उस आंदोलन को जनता का पूरा समर्थन मिला था, लेकिन ऐसा होने में 24 साल का लंबा वक्त लगा। काश, उस जमाने में उनके पास आज की तरह ही आधुनिक संचार माध्यम होते, लेकिन पिछले एक दशक में बहुत कुछ बदला है। वर्ष 2011 में फिलीपींस में करीब दस लाख लोगों ने वहां की भ्रष्ट सरकार के खिलाफ मोबाइल पर संदेश भेजकर विरोध किया और सरकार को जाना पड़ा। इसी तरह जिम्बाव्वे में चुनाव के दौरान वहां की सत्ता के लिए धांधली करना मुश्किल हो गया, क्योंकि जनता के हाथ में मोबाइल फोन था, जिसकी मदद से वे मतदान केन्द्रों की तस्वीरें लेकर कहीं भी भेज सकते थे। म्यामांर के लोगों ने ब्लॉगों के जरिये दुनिया को अपने देश के हालात से अवगत कराया। तमाम कोशिशों के बावजूद वहां की सत्ता उस आवाज को नहीं दबा पाई, जो आंग सान सू की ने उठाई थी अर्थात यह कहा जा सकता है कि आधुनिक तकनीक ने इतनी विशाल दुनिया को भी इतना छोटा कर दिया है कि कोई दूरी अब दूरी लगती ही नहीं है। चंद पलों में एक संदेश एक जगह से दूसरी जगह चला जाता है। हालांकि इसका गलत इस्तेमाल होने की संभावना भी है, जैसे भारत में इसी सप्ताह अफवाह फैलाने में इसी आधुनिक तकनीक का बड़ा हाथ रहा। यह तो मानव पर निर्भर है कि वह अच्छी चीज का उपयोग किस संदर्भ में करता है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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