Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अस्पतालों के महज दो फीसदी नुस्खे सही
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के अस्पतालों में निगरानी की उचित प्रणाली नहीं होने के चलते एक उपभोक्ता संरक्षण संगठन द्वारा हाल ही में किए गए सर्वेक्षण में दो प्रतिशत से भी कम नुस्खों को उचित पाया गया। कंज्यूमर यूनिटी एंड ट्रस्ट सोसायटी (कट्स इंटरनेशनल) द्वारा कराए गए एक अध्ययन के अनुसार राज्य के अस्पतालों में मरीजों को दिए गए परामर्शों के विश्लेषण में महज 1.96 प्रतिशत नुस्खे स्वास्थ्य जगत द्वारा तय रेशनल यूज आफ ड्रग्स (आरयूडी) दिशा-निर्देशों के अनुरूप पाए गए। बिना सोच विचार के दी गई सर्वाधिक दवाओं में एंटीबायोटिक, नॉन स्टेराइडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं, एच-2 ब्लॉकर, विटामिन, एंटीसाइकोटिक्स और एंटीहिस्टेमिनिक्स आदि पाई गर्इं। आरयूडी के दिशा-निर्देशों के अनुसार रोगियों को उनकी जरूरतों के मुताबिक उचित इलाज मिलना चाहिए जिसमें उनकी जरूरत के हिसाब से दवाओं की खुराक सही समयावधि के लिए और कम से कम कीमत पर उन्हें दिए जाने की बात होनी चाहिए। दिशा-निर्देशों के मुताबिक दवाओं के अत्यधिक इस्तेमाल, कम इस्तेमाल या दुरुपयोग के नतीजतन दुर्लभ संसाधनों की बर्बादी होती है तथा व्यापक रूप से स्वास्थ्य सम्बंधी खतरे पैदा होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी दवाओं के अनुचित इस्तेमाल को दुनियाभर में बड़ी समस्या बताया है। डब्ल्यूएचओ का आकलन है कि आधे से अधिक दवाओं का परामर्श गलत तरह से दिया जाता है तथा इन्हें गलत तरह से बांटा या बेचा जाता है। आधे रोगी इन्हें सही से नहीं ले पाते। अध्ययन में यह खुलासा भी किया गया है कि पश्चिम बंगाल में दिशा-निर्देशों को लेकर जागरूकता में कमी है। सर्वेक्षण में कोलकाता, उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों, नादिया, वर्द्धमान और जलपाईगुड़ी जिलों के छोटे बड़े 50 निजी अस्पतालों को शामिल किया गया।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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