View Single Post
Old 24-09-2012, 04:11 PM   #140
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 15
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: लघु कथाएँ..........

उसी से गर्म उसी से ठंडा : विरोधाभास



सर्दियों के दिन थे । कड़ाके की ठंड पड़ रही थी । गुरु और शिष्य यात्रा पर थे । सुबह-सुबह उठे तो ठंड से ठिठुरे जा रहे थे । गुरु ने सहसा अपनी दोनों हथेलियों को रगड़ना शुरु किया और उनमें मुंह से फूंक मारना शुरु किया । यह देख कर शिष्य ने गुरु से जानना चाहा- “गुरु जी ! आप हाथों को क्यों रगड़ रहें हैं और उसमें फूंक क्यों रहें हैं ?” गुरु ने कहा कि हाथों को रगड़ने और उसमें गर्म फूंक मारने से शरीर को ठंड नहीं लगती, इससे शरीर में गर्माहट आती है । कुछ देर बाद उन्होंने आग जलाई और उसमें खाने के लिए आलू भूने । गुरु ने आलू आग से निकाले । आलू अभी गर्म थे । आलू छीलना शुरु किया और मुंह से फूंक-फूंक कर उन्हें ठंडा करने लगे । शिष्य ने पूछा गुरु जी आप आलू में फूंक क्यों मार रहें हैं ? गुरु ने कहा फूंक कर आलू को ठंडा कर रहा हूँ । शिष्य ने पूछा, कुछ देर पहले आप फूंक कर अपनी हथेलियों को गर्म कर रहे थे और अब फूंक कर आलुओं को ठंडा कर रहे हो । यह कैसे संभव है कि उसी से गर्म और उसी से ठंडा ? गुरु ने कहा- “ऐसा ही है, जीवन में बहुत सी चीजों का स्वभाव गर्म या ठंडा हो सकता है, लेकिन उनका उपयोग हम कैसे करते हैं, उस से वे हमारे लिए उपयोगी और सार्थक बन जाती हैं ।” फूंक की तरह जो कभी हथेलियों को गर्म करने के काम आती है तो कभी आलुओं को ठंडा करने के लिए । वह स्वयं में गर्म है, लेकिन अलग-अलग परिस्थितियों में इसका प्रयोग बड़ा विरोधाभासी है । बुद्ध पुरुषों के वचन भी ऐसे ही होते हैं । जो बहुत बार हमें विरोधाभासी लगते हैं लेकिन हर परिस्थिति में सार्थक होते हैं।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote