Re: जब अंधेरों की तिजोरी में उजाले होंगे
Quote:
Originally Posted by dr. Rakesh srivastava
आम लहज़े में ही जो आम आदमी की कहे ;
उसके दुनिया में बहुत चाहने वाले होंगे .
रचयिता ~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ .
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अंतिम पंक्ति ह्रदय की गहराईयों को छूने वाले हैं
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घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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