28-09-2012, 05:51 PM
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Re: मेरे एकाकी जीवन में
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Originally Posted by anilkriti
मेरे एकाकी जीवन में
तुम मधुरता का आलिंगन
स्वप्न सजोती आँखों से
तुम नीदिया का बंधन ...
कण कण आलोकित करती
दिनकर की रश्मि तुम
अन्धकार में आलंबन हो
निर्बलता में शक्ति तुम...
जीवन की निर्जनता में
तुम हृदय का स्पंदन
मेरे एकाकी जीवन में
तुम मधुरता का आलिंगन...
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प्रणय-रस की एक और शानदार कविता.....
अति सुंदर बंधु।
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