Re: नपुंसकामृतार्णव
प्रारम्भ्यते !
मंगलाचरणम
विलोलद्वीचि संयुक्ता दुःख त्रय विनाशिनी !
राजते ह्यापगा यस्य शाशि शोभित मस्तके !!
गिरिजा यस्य वामांगे सपुत्रा च विराजते !
भस्मोद्धूलित देहाय नमस्तस्मै पिनाकने !!
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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