Re: नपुंसकामृतार्णव
ग्रंथारम्भः !
पुंसत्व वृद्धिकरम चैव शंडादिदोषनाशनं !
संत्यादि सुख कर मायुरा रोग्यदम तथा !!
तरंगैरष्टभिः शुद्धैर्नपुंसका मृतार्नवम !
अनुभव कृतैर्योगैस्तथैव शास्त्रसंमते : !!
निबन्धामि नियोगाच्च सतां लोक हितैशिणाम !
वैद्यो रामप्रसादोहं दृष्टा लोकस्य संस्थितिम !!
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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