Re: नपुंसकामृतार्णव
ध्वजभंग के लक्षण
अत्यंत खटाई तथा नमक और तीक्ष्ण खार, विरुद्ध भोजन (दूध-मछली आदि), कच्चा अन्न तथा बिना भूख भोजन करने, बहुत अधिक पानी पीने, दूध देने वाले जीवों का मांस खाने, पित्त बढ़ाने वाले भारी पदार्थ खाने, अत्यंत कमजोरी तथा कम आयु की स्त्री से संसर्ग करने से, गुप्तांग पर कड़े बाल वाली, राज:स्वला, प्रदर के कारण अत्यंत गीले गुप्तांग वाली स्त्री के सहवास से; मूर्खता पूर्ण ढंग से सम्भोग करने से, चौपाए पशु से संसर्ग करने से, शिश्न में चोट लगने अथवा उसे ठीक प्रकार से नहीं धोने से यदि वीर्य नष्ट हो जाता है, तो इसे ध्वजभंग अथवा इन्द्रिय के सुस्त होकर गिर जाने की अवस्था कहते हैं !
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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