जिस तरह अपने दौर में जागृति भारतीय बाल फ़िल्म दर्शकों के मन में एक गहरी छाप छोड़ गई वैसी छाप इस फ़िल्म ने पाकिस्तानी बाल दर्शकों के मन में ना ही डाली होती तो बेहतर था मगर आज के दौर और माहौल को देख कर लगता है कि ऐसी भड़काऊ फिल्मों/फ़िल्म संगीत ने देशभक्ति के नाम पर उन दर्शकों के मन में जो विषबीज बोए हैं वे आज एक विकराल वृक्ष बन कर हमारे देश के प्रति उनकी बदनीयती के रूप में फल-फूल रहा है...