Re: डार्क सेंट की पाठशाला
विपरीत स्वभाव से सामना करें
हम इस बात के लिए परेशान रहते हैं कि अमुक व्यक्ति का स्वभाव ऐसा क्यों है या ऐसा क्यों नहीं है। इसकी एक वजह यह है कि हम सुविधा चाहते हैं यानी हमारी इच्छा रहती है कि हमें दूसरों के साथ सामंजस्य बिठाने में तकलीफ न हो हमारा तुरंत तालमेल हो जाए। विपरीत स्वभाव हमें चुनौती देता है। असुविधा पैदा करता है। हमें समझ में नहीं आता हम सामने वाले से किस तरह पेश आएं। थोड़ी देर के लिए सोचें कि अगर हरेक व्यक्ति एक ही स्वभाव का होता तो क्या होता? क्या दुनिया एकरस नहीं हो जाती? शायद तमाम चीजों का विकास एक ही दिशा में हुआ होता। विपरीत स्वभाव से सामना होने के कई लाभ हैं। हम मनुष्य जीवन के नए आयाम से परिचित होते हैं। वह नया आयाम अच्छा हो या बुरा,हम उससे निपटने के लिए अपने को तैयार करते हैं। इस तरह हमारा व्यक्तित्व एक नई दिशा की ओर बढ़ता है। सामाजिक जीवन में वे लोग ज्यादा सफल होते हैं जो विपरीत स्वभाव के लोगों को स्वीकार करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इसको एक उदाहरण से समझा जा सकता है। बिल्ली का एक छोटा बच्चा भी जानता है कि क्या चीज पास दिखे तो भाग जाना चाहिए और क्या नजर आए तो उसे दबोच लेना चाहिए। लेकिन हमारा बच्चा काफी बड़ा हो जाने के बाद भी ऐसी बुनियादी बातों में गलतियां कर बैठता है। ऐसा क्यों? सभी जीव अपने बच्चों को ऐसे कौशल सिखाते हैं जो उनके जिंदा रहने के लिए जरूरी हैं। अकेला इंसान ही है जो अपने बच्चों को नैतिकता सिखाता है। क्या अच्छा है,क्या बुरा है,क्या करना चाहिए,क्या नहीं करना चाहिए। हम अपने बच्चों को अपनी औकात भर अच्छा बनना सिखाते हैं लेकिन वास्तविक दुनिया का सामना होते ही उनकी अच्छाई उनकी दुश्मन बन जाती है। जिंदा रहने के लिए उन्हें बुराई से समझौता करना पड़ता है। ठीक है, हम उन्हें बुराई नहीं सिखा सकते लेकिन समय रहते इसकी पहचान तो करा सकते हैं।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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