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Originally Posted by khalid1741
इश्क और दोस्ती मेरी जिन्दगी का गुमान हैँ
इश्क मेरी रुह दोस्ती मेरा इमान हैँ
इश्क पे कर दुँ फिदा अपनी सारी जिन्दगी
मगर दोस्ती पर मेरा इश्क भी कुर्बान हैँ
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क्या बात है मित्र दोस्ती पर इश्क भी कुर्बान हैँ । कहीँ ये दोस्ताना वाली दोस्ती तो नहीँ ? खैर आपकी पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीँ ।