Re: वर्षा ऋतु : चार दृष्य
दृश्य दो
स्वागत है
वर्षा की
तरसाती बून्दों का
स्वागत है.
मेघों के प्यासी
धरती पे झरने से
उत्पन्न अनुराग का.
स्वागत है ऊसर
हृदयों में कम्पित
अंगड़ाई का स्वागत है.
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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