09-11-2012, 02:19 PM
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Re: वर्षा ऋतु : चार दृष्य
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Originally Posted by Dark Saint Alaick
प्रिय रजनीशजी ! क्षमा करें कि आपके सृजन को मैंने बिना आपकी अनुमति के इस तरह जुदा रूप दे दिया, लेकिन मेरा मानना था कि यदि चार रूप हैं तो इस तरह अलग-अलग चार खानों में ही सुशोभित होंगे ! आपको इस श्रेष्ठ सृजन के लिए साधुवाद ! आशा करता हूं कि आपका इसी प्रकृति का और भी श्रेष्ठ सृजन इस सूत्र में पढने का सौभाग्य प्राप्त होगा ! धन्यवाद !
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सेंट अलैक जी, मैं आपका आभारी हूँ कि आपने मेरी बेतरतीब रचनाओं को व्यवस्थित कर दिया. यह आपकी आत्मीयता है कि आप पूरे मनोयोग से हर छोटी बड़ी रचना पढ़ते हैं और सम्मति देते हैं. कृपया अनुग्रह बनाए रखें.
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