ग़ ज़ ल: दीवाना कर दिया है दिले बेकरार ने.
कई रोज़ मेरी जानिब देखा न यार ने.
दीवाना कर दिया है दिले बेकरार ने.
तेरी दोस्ती पे हमें बड़ा ऐतबार था,
हमें सब सिखा दिया है तेरे ऐतबार ने.
आज की बात का तेरा कल पे टालना,
जीना मुहाल कर दिया है इस उधार ने.
इस सिम्त मेरा दिल है, उस सिम्त ज़माना,
इन दोनों से लड़ना है मेरे शहसवार ने.
हर बार रकीबों ने ‘शरर’ जाल बिछाये,
हर बार बचाया है मुझे रूह-ए-यार ने.
---- रजनीश कुमार मंगा “शरर” नजीबाबादी बकलम खुद
Last edited by rajnish manga; 17-09-2013 at 11:36 PM.
Reason: वर्तनि सुधार
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