Re: एक शहरी पाकिस्तान का
मुनि और मीशा धूप में खेल रहे थे। सरस्वती उन्हें नहलाने के लिए जल्दी-जल्दी गर्म पानी, तौलिया, साबुन, उनके कपड़े वगैरा बाथरूम में रखने जा रही थी। उसने बच्चों को पुकारा-
''ऐ मुनि, ऐ मीशा, चलो नहा लो जल्दी-जल्दी, वरना मुझे वक्त नहीं मिलेगा।''
बच्चे खेल में व्यस्त रहे। सरस्वती ने आगे बढक़र दोनों को पकड़ा और उन्हें लेकर सीधी बाथरूम में चली गयी।
छब्बीस साल की सुन्दर, स्वस्थ, ऊँची और आकर्षक सरस्वती उन्हें साबुन मल-मलकर नहलाने लगी। बच्चे आँखों में साबुन पड़ जाने से रोने लगे। सरस्वती बुदबुदाई-''अभी तुम्हारे डैडी आ जाएँगे। लंच का टाइम हो गया है। दिन-भर बेचारे मजदूरों के सिर पर खड़े सरकारी मकान बनवाते रहते हैं, उन्हें भूख लगी होगी।''
अचानक उसकी समय दरवाजे पर दस्तक हुई।
''लो, वह आ भी गये ! मैं आयी जी, इन्हें ज़रा...''
मीशा पानी के छींटे उड़ाने लगा।
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