Re: तोलस्तॉय की कहानियाँ
इसके बाद दिल्ली में उसके चाल-चलन की जाँच की गई। सब लोगों ने यही कहा कि पहले वह मद्य पीकर बकझक किया करता था, पर अब उसका आचार बहुत अच्छा है। अदालत में तहकीकात होने पर उसे रामपुर निवासी सौदागर का वध करने और बीस हजार रुपये चुरा लेने का अपराधी ठहराया गया।
भागीरथ की स्त्री को इस बात पर विश्वास न होता था। उसके बालक छोटे-छोटे थे। एक अभी दूध पीता था। वह सबको साथ लेकर पति के पास पहुँची। पहले तो कर्मचारियों ने उसे उससे मिलने की आज्ञा न दी, परंतु बहुत विनय करने पर आज्ञा मिल गई। और पहरे वाले उसे कैद घर में ले गए। ज्यों ही उसने अपने पति को बेड़ी पहने हुए चोरों और डाकुओं के बीच में बैठा देखा, वह बेसुध होकर धरती पर गिर पड़ी। बहुत देर में सुध आई। वह बच्चों सहित पति के निकट बैठ गई और घर का हाल कह कर पूछने लगी कि यह क्या बात है ? भागीरथ ने सारा वृतांत कह सुनाया।
स्त्री- तो अब क्या हो सकता है ?
भागीरथ- हमें महाराज से विनय करनी चाहिए कि वह निरपराधी को जान से न मारें।
स्त्री- मैंने महाराज से विनय की थी, परंतु वह स्वीकार नहीं हुई।
भागीरथ ने निराश होकर सिर झुका लिया।
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