Re: तीन सौ रामायणें :: ए.के. रामानुजन
''श्री राम की अंगूठी एक छिद्र में गिर गयी थी। मैं उसे निकालने आया हूं।''
राजा ने इधर-उधर देखा और हनुमान को एक थाली दिखायी। उस पर हज़ारों अंगूठियां पड़ी थीं। सभी राम की अंगूठियां थीं। राजा हनुमान के पास वह थाली ले आया, उसे नीचे रख कर कहा, ''अपने राम की अंगूठी उठा लो।''
सारी अंगूठियां बिल्कुल एक-सी थीं। ''मैं नहीं जानता कि वह कौन-सी है,'' हनुमान सिर डुलाते हुए बोले।
भूतों के राजा ने कहा, ''इस थाली में जितनी अंगूठियां हैं, उतने ही राम अब तक हो गये हैं। जब तुम धरती पर लौटोगे तो राम नहीं मिलेंगे। राम का यह अवतार अपनी अवधि पूरी कर चुका है। जब भी राम के किसी अवतार की अवधि पूरी होने वाली होती है, उनकी अंगूठी गिर जाती है। मैं उन्हें उठा कर रख लेता हूं। अब तुम जा सकते हो।''
हनुमान वापस लौट गये।1
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