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Re: आरोग्यनिधि
शरद ऋतु में स्वास्थ्य सुरक्षाः
समग्र भारत की दृष्टि से 16 सितम्बर से 14 नवम्बर तक शरद ऋतु मानी जा सकती है।
वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु आती है। वर्षा ऋतु में प्राकृतिक रूप से संचित पित्त-दोष का प्रकोप शरद ऋतु में बढ़ जाता है। इससे इस ऋतु में पित्त का पाचक स्वभाव दूर होकर वह विदग्ध बन जाता है। परिणामस्वरूप बुखार, पेचिश, उल्टी, दस्त, मलेरिया आदि होता है। आयुर्वेद में समस्त ऋतुओं में शरद ऋतु को 'रोगों की माता' कहा जाता है। इस ऋतु को ‘प्राणहर यम की दाढ़’ भी कहा है।
इस ऋतु में पित्त-दोष एवं लवण रस की स्वाभाविक ही वृद्धि हो जाती है। सूर्य की गर्मी भी विशेष रूप से तेज लगती है। अतः पित्त-दोष, लवण रस और गर्मी इन तीनों का शमन करे ऐसे मधुर (मीठे), तिक्त (कड़वे) एवं कषाय (तूरे) रस का विशेष उपयोग करना चाहिए। पित्त-दोष की वृद्धि करें ऐसी खट्टी, खारी एवं तीखी वस्तुओं का त्याग करना चाहिए। पित्त-दोष के प्रकोप की शांति के लिए मधुर, ठंडी, भारी, कड़वी एवं तूरी (कसैली) वस्तुओं का विशेष सेवन करें।
इस ऋतु में सब्जियाँ खूब होती हैं किन्तु उसमें वर्षा ऋतु का नया पानी होने की वजह से वे दोषयुक्त होती हैं। उनमें लवण (खारे) रस की अधिकता होती है। अतः जहाँ तक हो सके शरद ऋतु में कम लें एवं भादों (भाद्रपद) के महीने में तो उन्हें त्याज्य ही मानें।
घी-दूध पित्त दोष का मारक है इसलिए हमारे पूर्वजों ने भादों में श्राद्ध पक्ष का आयोजन किया होगा।
इस ऋतु में अनाज में गेहूँ, जौ, ज्वार, धान, सामा (एक प्रकार का अनाज) आदि लेना चाहिए। दलहन में चने, तुअर, मूँग, मसूर, मटर लें। सब्जी में गोभी, ककोड़ा (खेखसा), परवल, गिल्की, ग्वारफली, गाजर, मक्के का भुट्टा, तूरई, चौलाई, लौकी, पालक, कद्दू, सहजने की फली, सूरन (जमीकंद), आलू वगैरह लिये जा सकते हैं। फलों में अंजीर, पके केले, जामफल (बिही), जामुन, तरबूज, अनार, अंगूर, नारियल, पका पपीता, मोसम्बी, नींबू, गन्ना आदि लिया जा सकता है। सूखे मेवे में अखरोट, आलू बुखारा, काजू, खजूर, चारोली, बदाम, सिंघाड़े, पिस्ता आदि लिया जा सकता है। मसाले में जीरा, आँवला, धनिया, हल्दी, खसखस, दालचीनी, काली मिर्च, सौंफ आदि लिये जा सकते हैं। इसके अलावा नारियल का तेल, अरण्डी का तेल, घी, दूध, मक्खन, मिश्री, चावल आदि लिये जायें तो अच्छा है।
शरद ऋतु में खीर, रबड़ी आदि ठंडी करके खाना आरोग्यता के लिए लाभप्रद है। पके केले में घी और इलायची डालकर खाने से लाभ होता है। गन्ने का रस एवं नारियल का पानी खूब फायदेमंद है। काली द्राक्ष (मुनक्के), सौंफ एवं धनिया को मिलाकर बनाया गया पेय गर्मी का शमन का करता है।
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