19-11-2012, 04:13 PM
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Re: मेरी ज़िंदगी : मेरे शहर
यदि आप इन चित्रों को ज़ूम करें तो यहाँ की भवन निर्माण कला तथा सुन्दर भित्ति चित्रांकन का आनंद ले सकते हैं. इन हवेलियों के भूतल (ground floor) पर आम तौर से तहखाने बनाए जाते थे.
कभी खूबसूरत रहीं ये शानदार विशालकाय बहुमंजिली हवेलियाँ आज काफी खस्ता हालत में हैं. इनकी दीवारों पर अंकित चित्र भी काफी हद तक मौसम की मार तथा वक्त के थपेडों से क्षतिग्रस्त हुये हैं, धूमिल हो चुके हैं या नष्ट होने की कगार पर हैं. सुनते हैं कि राजस्थान पर्यटन विभाग की ओर से कुछ हवेलियों और उनके चित्रों के पुनरुद्धार का काम हाथ में लिया गया है. लेकिन यह काम इतना खर्चीला और व्यापक है कि वर्तमान में चल रहे काम को ऊँट के मुँह में जीरा ही कहा जाएगा. जिस प्रकार हम आज शहरों में सेरेमिक टाईलों का इस्तेमाल देखते हैं उसी प्रकार शेखावाटी की इन हवेलियों में दीवारों पर ऐसे सफ़ेद प्लास्टर का प्रयोग किया जाता था जिसकी चमक टाईलों से किसी प्रकार कम नहीं थी. जिन दीवारों पर यह प्लास्टर लगाया जाता था जो बीसियों साल तक ज्यों का त्यों बना रहता था और वहाँ बार बार सफेदी अथवा डिस्टेम्पर लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी.
Last edited by Dark Saint Alaick; 28-11-2012 at 11:05 PM.
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