Re: टुनटुन की कहानी (Tuntun's Story)
उन्होंने मुझे उस फिल्म में एक हास्य भूमिका करने को कहा जिसे मैंने स्वीकार कर लिया. हालांकि इससे पहले फिल्म ‘दर्द’ में भी वो मुझे एक भूमिका ऑफर कर चुके थे लेकिन तब मैं अभिनय के लिए मानसिक तौर पर तैयार नहीं थी. उमादेवी की जगह टुनटुन नाम भी मुझे फिल्म ‘बाबुल’ में नौशाद साहब ने ही दिया था. आगे चलकर यही नाम मेरी पहचान बन गया. मेरा ये रूप दर्शकों को बेहद पसन्द आया और देखते ही देखते मैं हिन्दी फिल्मों की अतिव्यस्त हास्य अभिनेत्री बन गयी. फिर तो उड़न खटोला, बाज़, आरपार, मिस कोकाकोला, मिस्टर एण्ड मिसेज़ 55, राजहठ, बेगुनाह, उजाला, कोहिनूर, नया अंदाज़, 12 ओ’क्लॉक, दिल अपना और प्रीत पराई, कभी अन्धेरा कभी उजाला, मुजरिम, जाली नोट, एक फूल चार काण्टे, काश्मीर की कली, अक़लमन्द, सी.आई.डी.909, दिल और मोहब्बत, एक बार मुस्कुरा दो और अन्दाज़ जैसी सैकड़ों फिल्में मैंने कीं.
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