Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
महानता का प्रतीक - दयालुता
एक बार समर्थ गुरू रामदास अपने शिष्यों के साथ भ्रमण पर थे। जब वे एक गन्ने के खेत के पास के गुजरे तो उनके कुछ शिष्य गन्ना तोड़कर खाने लगे और मीठे गन्नों का आनंद लेने लगे। अपनी फसल का नुक्सान होते देख खेत का मालिक डंडा लेकर उन पर टूट पड़ा। गुरू को यह देख बहुत कष्ट हुआ कि उनके शिष्यों ने स्वाद के लालच में आपत्तिजनक रूप से अनुशासन को तोड़ा।
अगले दिन वे सभी छत्रपति शिवाजी के महल में पहुँचे जहाँ उनका जोरदार स्वागत हुआ। परंपरागत स्नान के अवसर पर शिवाजी स्वयं उपस्थित हुये। जब गुरू रामदास ने अपने वस्त्र उतारे तो शिवाजी यह देखकर दंग रह गए कि उनकी पीठ पर डंडे की पिटाई के लाल निशान बने हुए थे।
यह समर्थ गुरू रामदास की संवेदनशीलता ही थी कि उन्होंने अपने शिष्यों पर होने वाले वार को अपनी पीठ पर झेला। शिवाजी ने गन्ने के खेत के मालिक को बुलाया। जब वह भय से कांपता हुआ शिवाजी और समर्थ गुरू रामदास के समक्ष प्रस्तुत हुआ, तब शिवाजी ने गुरू से मनचाहा दंड देने को कहा। लेकिन रामदास ने अपने शिष्यों की गलती स्वीकार की और किसान को माफ करते हुए हमेशा के लिये कर मुक्त खेती का आशीर्वाद प्रदान किया।
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