Re: 72 Virgins in Islam
अभिषेक जी, आपने इस बारे में काफी शोध करने के बाद कुर’आन मजीद के सम्बंधित अंश दे कर प्रश्नकर्ताओं की शंकाओं का समाधान करने की अच्छी कोशिश की है. मैं चाहता हूँ कि इस क्रम में रुबाइयों के ज़रिये, उमर खय्याम के फलसफ़े
को भी समझाने की कोशिश करें:
जन्नत में गर, शगल मय-ओ-मीना है
हूरों की जो सोहबत में वहाँ पीना है.
अपनी मय व माशूक परस्ती है रवा
आखिर तो इसी तौर वहाँ जीना है.
हर चंद कि जन्नत की हैं हूरें अनमोल
हूरों को मगर दख्त रज़ से मत तोल.
इस नक़द को ले,उधार जन्नत को छोड़
कहते हैं सु हा ने हैं बड़े दूर के ढोल.
(साभार ‘इंतिखाब कलाम उमर खय्याम’ अनुवाद ताहा नसीम; प्रकाशक- सन्देश प्रकाशन, दिल्ली ६)
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